गुजरात और राजस्थान में, इसे उत्तरायण कहा जाता है, और लोग खासकर मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हैं और दान-पुण्य का कार्य करते हैं।

मकर संक्रांति: भारतीयों का खास त्योहार (Makar Sankranti: Special festival of Kites)
मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) भारतीय हिन्दू कैलेंडर में मकर राशि में सूर्य की स्थिति को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के एक तिथि को मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण हिन्दी त्योहार है। यह एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक पर्व है जो भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण, लोहड़ी, भोगाली बिहु आदि।

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI)एक हिन्दू त्योहार है जो साल के पहले महीने मकर संक्रांति में मनाया जाता है, जो विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि पोंगल (तमिलनाडु), लोहड़ी (पंजाब), माघ बिहु (असम), उत्तरायण (गुजरात और राजस्थान) आदि। यह त्योहार सूर्य की उत्तरायणी के दिन मनाया जाता है, जिसे लोग सूर्य पूजा के रूप में मनाते हैं।

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI)का नाम सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर है, जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य देवता को अधिक पूजनीय माना जाता है और लोग अपने आपको इस उत्कृष्ट समय में नए शुभारंभों के लिए साझा करते हैं।

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) का एक और विशेष पहलू है उत्तर भारत में लोहड़ी, जो पंजाब और हरियाणा राज्यों में मनाया जाता है। इसे सस्तरी, माघी और भोगली भी कहा जाता है। यह त्योहार गन्ने की फसल के काटने के बाद, खेतों में आत्मा भरकर मनाया जाता है और लोग एक दूसरे के साथ खुशी का इजहार करते हैं।

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) के दिन लोग मेला और खेतों में उत्सव करते हैं, और विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को तैयार करते हैं जैसे कि तिल-गुड़ की पत्तियां, खीर, गुड़ के लड्डू आदि। इस दिन विशेष रूप से लोग एक दूसरे के साथ खेतों में बैठकर गाने-बजाने और खेतीबाड़ी के काम में भाग लेते हैं।

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) का उत्सव भारतवर्ष में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, और यह बनाया जाता है ताकि लोग नए साल की शुरुआत को प्रशंसा के साथ मना सकें



धार्मिक महत्व:

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) का त्योहार हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे दिन का समय लम्बा होने लगता है और रात का समय छोटा होता है। इसका संदेश है कि अब से चार दिनों में सूर्य की ऊँचाई बढ़ने लगती है और धरती पर गर्मी का मौसम शुरू होता है। इसे 'उत्तरायण' के नाम से भी जाना जाता है।

विभिन्न रूपों में मनाना:

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) का त्योहार भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आपस में मिलकर बैल-गाड़ी, रेवड़ी आदि का उत्सव करते हैं। पश्चिम बंगाल में इसे पोंगल कहा जाता है, जहां लोग धान की पूजा करते हैं और अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। दक्षिण भारत में भोगाली बिहु का आयोजन होता है, जिसमें लोग गाने, नृत्य, और खेतों में खेती के लिए तैयारी करते हैं।

मकर संक्रांति का खास अहमियत:

यह त्योहार समृद्धि, खुशियाँ, और एकता का प्रतीक है। लोग इस दिन अपने दोस्तों और परिवार से मिलकर खुशियों का आनंद लेते हैं। इसे विशेष रूप से उन खेतीकर्मियों के लिए मनाया जाता है जो अपनी मेहनत के फल को भोगते हैं और खुदा का आभास करते हैं।

समापन:

मकर संक्रांति (MAKARSANKRANTI) भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है जो हमें एक दूसरे के साथ जुड़ने का और अपने परंपरागत तत्त्वों को महत्वपूर्ण बनाए रखने का संदेश देता है। इस त्योहार के माध्यम से हम सूर्य देवता की पूजा करते हैं और उसकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके माध्यम से हम अपने जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह को अंजाम देने का संकल्प करते हैं।
 

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